त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । शिवाष्टकस्तोत्र को सुबह- शाम किसी https://shivchalisalyricsinpunjab50307.isblog.net/the-5-second-trick-for-lyrics-of-shiv-chalisa-46979092